बंगाल के कोठारी बंधुओं ने विवादित गुम्बद पर लहराया था ध्वज

Kothari bandhu

नई दिल्ली। अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया। फैसला देते हुए कोर्ट ने रामजन्मभूमि न्यास को विवादित भूमि का मालिकाना हक दिया। बता दें कि अयोध्या का यह विवाद 1990 में तब शुरू हुआ जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में एक बड़ा आंदोलन हुआ था। तब कोठारी बंधुओं ने विवादित परिसर में बने बाबरी मस्जिद के गुम्बद पर केसरिया ध्वज फहराया था।

कोठारी बंधु कोलकाता के बड़ा बाजार के रहने वाले थे। रामकुमार कोठारी 23 साल के शरद कोठारी 24 साल के थे। दोनों सगे भाई थे। दोनों भाइयों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी। कोठारी बंधु बंगाल में कोलकाता (तब कलकत्ता) के रहने वाले थे। आंदोलन में कोठारी बंधुओं का योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। तब कोठारी बंधुओं ने गुम्बद पर ध्वज फहराने के बाद नीचे उतरने के बाद पुलिस फायरिंग में इनकी जान चली गई थी।

जिस वक्त गुम्बद ध्वज फहराया गया था तब राममंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। आंदोलन को देखते हुए अयोध्या जाने से लोगों को रोक दिया गया था। तब कोठारी बंधुओं ने 200 किलोमीटर का रास्ता पैदल ही तय कर लिया। आजमगढ़ के फुलपुर से 25 अक्टूबर को चले कोठारी बंधुओं ने 30 अक्टूबर की सुबह को अयोध्या की जमीन पर कदम रखा।

विवादित परिसर में 30 हजार जवानों की सुरक्षा कवच थी। बावजूद इसके कोठारी बंधुओं ने पुलिस को चकमा देते हुए विवादित गुम्बद पर ध्वज लहरा दिया। 30 अक्टूबर को गुम्बद पर भगवा लहराने के बाद 2 नवंबर को दोनों भाई विनय कटियार के नेतृत्व में हनुमानगढ़ी जा रहे थे। जहां पर पुलिस की फायरिंग में दोनों भाइयों की मौत हो गई।