RBI ने नहीं किया मुख्य दरों में बदलाव, रेपो रेट चार फीसदी पर बरकरार -7.5 फीसदी रहेगी इस साल जीडीपी ग्रोथ

मुंबई: कोरोना वायरस  महामारी और अर्थव्यवस्था में गिरावट के बीच केंद्रीय बैंक RBI ने प्रमुख  नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति  की बैठक में रेपो रेट  को चार फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला लिया गया है. लगातार तीसरी बार रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर रखा गया है. मुद्रास्फीति का उच्च स्तर और जीडीपी (GDP) में गिरावट को देखते हुए कई अर्थशास्त्रियों ने पहले ही रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने का अनुमान जताया था.

रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) को भी 3.35 प्रतिशत के पूर्व स्तर पर रखा है.  केंद्रीय बैंक ने नीति को लेकर “उदार” रुख को बरकरार रखा है. आरबीआई ने मई से रेपो रेट यानी जिस दर पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है उसे 4 प्रतिशत पर रखा हुआ है. यह 19 साल का निम्न स्तर है.

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि (Real GDP Growth) के अपने पहले के अनुमान को संशोधित करके शून्य से 7.5 प्रतिशत (-7.5 प्रतिशत) नीचे रहने का अनुमान जताया है. पहले इसके माइनस 9.5 प्रतिशत रखने का अनुमान जताया गया था.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ऑनलाइन ब्रीफिंग में कहा कि आरबीआई कम से कम चालू वित्त वर्ष के लिए अपने रुख को बरकार रखेगा. वृद्धि के अनुमानों पर दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था अपेक्षा से अधिक तेजी से सुधर रही है.

पिछले कई महीनों से मुद्रास्फीति आरबीआई के निर्धारित दायरे 2 से 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. मुद्रास्फीति के आगे भी खासकर सर्दियों के मौसम में ऊंचे बने रहने की आशंका जताई गई है.

मौद्रिक नीति समिति  की निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया.

केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये मार्च से रेपो दर में 1.15 प्रतिशत कटौती कर चुका है. आर्थिक वृद्धि के अनुमान के बारे में दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में इसमें 7.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी. तीसरी तिमाही और चौथी तिमाही में इसमें क्रमश: 0.1 प्रतिशत और 0.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया गया है.