डा. सुधांशु कुमार। नियति ने सिमुलतला आवासीय विद्यालय के गणितज्ञ साथी शिक्षक जीतेन्द्र कुमार मिश्रा जी के फलते – फूलते, हँसते – खेलते परिवार के साथ जैसा क्रूर मजाक किया, यह सिर्फ इस विद्यालय परिवार के लिए ही नहीं , बल्कि संपूर्ण शिक्षक समाज , छात्रों और बिहार के भविष्य के लिए भी किसी त्रासदी से कम नहीं ! एक शिक्षक के रूप में वह विद्यालय के प्रति जितने समर्पित थे , पिता के रूप में भी अपने बच्चों और परिवार के लिए उतने ही कृतसंकल्पित।
नियति ने अप्राकृतिक दुर्घटना में एक साथ एक पत्नी से उनके पति और पुत्र को ही नहीं छीना , गोद के साथ मांग भी सूनी कर दी ! एक पुत्र के सर से वटवृक्ष – सी छाया ही नहीं , छात्रों से शिक्षक और उनका भविष्य-निर्माता भी छीन लिया ! इस भीषण दुर्घटना में उनकी मृत्यु ने मृतप्राय सिस्टम और सामाजिक मूल्यों पर एक साथ कई यक्ष प्रश्न खड़े कर दिए कि क्या एक शिक्षक , जो दधीचि की तरह किस्तों में अपना अस्थि – दान करता है , उसके आश्रितों के प्रति सरकार और सिस्टम का कोई दायित्व नहीं ? क्या निजी अस्पताल लुटेरों के अड्डे बन चुके हैं , जो मरीजों को दोनों हाथों से लूटते हैं ।
सिमुलतला आवासीय विद्यालय को टापर्स की फैक्ट्री बनाने वालें… बिहार के अंधेरे भविष्य में शिक्षा की किरणें छिटकाने वाले भविष्य निर्माताओं के भविष्य में धुप्प अंधेरा क्यों ? शपथ ले लेने मात्र से आजीवन तमाम सुख-सुविधाओं के हकदार बनने वाले माननीयों के माथे पर तब बल क्यों पर जाते हैं , जब साठ बरस तक कक्षाओं में एड़ियाँ रगड़ने वाले शिक्षकों के वाजिब हक की बात आती है ? बोर्ड की परीक्षाओं में छात्रों के लगातार टॉप करने पर अपनी पीठ थपथपाने वाली सरकार ने अभी तक यहां के शिक्षकों को नेतरहाट के समतुल्य वेतनमान और सेवाशर्त क्यों नहीं दी ?
जब बिहार में शराबबंदी है, तो उस ट्रक के ड्राइवर ने शराब कैसे पी रखी थी, जिसने हमारे साथी शिक्षक को धक्का मारा ? ऐसे कई सवाल हैं जो सुरसा की तरह संपूर्ण बिहार की समृद्धि और उसके गौरव को लील जाने को तैयार बैठे हैं।
स्वर्गीय साथी मिश्रा जी और उनके ज्येष्ठ पुत्र की मृत्यु के बाद आज उनका परिवार पूरी तरह निराश्रित हो चुका है। एक शिक्षक के प्रति सरकार का यह नकारात्मक रवैया उनमें अपने कर्तव्य के प्रति उदासीनता को जन्म देती है, जिसके दूरगामी दुष्परिणाम सामने आते हैं। यही कारण है कि आज योग्य शिक्षकों की अकाल – सी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
इन सवालों और समस्याओं के झंझावातों के बीच हम शिक्षकों के लिए संतोष की बात यह है कि हमारे आत्मीय साथी के साथ घटित त्रासदी के बीच हमारे पूर्ववर्ती व अध्ययनरत छात्रों के साथ – साथ अभिभावकों ने जो संवेदनशीलता दिखलाई है , इसने हमें उनके प्रति और अधिक जिम्मेदारी के भावों से भर दिया है। खासकर पीड़ित परिवार के साथ हमारे आत्मीय पूर्ववर्ती छात्र – छात्राएँ तन- मन – धन के साथ दिन-रात खड़ी रहीं ! उनके इस समर्पण ने ‘ सिमुलतला आवासीय विद्यालय परिवार ‘ की संकल्पना साकार कर दी है !
हमने देखा, कि उन्होंने इस त्रासदी में हमसे कन्नी नहीं काटी , बल्कि अपलक दिन और रात का अंतर मिटा दिया। संवेदना , संस्कार , सहयोग और उच्च जीवन मूल्यों की इस सच्ची और अच्छी परीक्षा में हमारे छात्रों ने एक बार फिर टाप किया !…स्वार्थपरता , ईर्ष्या , और विभिन्न प्रकार के अवमूल्यन के बीच हमारे छात्रों ने उच्चादर्शों की पुनर्स्थापना की जो लकीरें खींची है उसने कहीं न कहीं आरुणि को भी समेटने में सफलता प्राप्त की है ! इससे हम आचार्यों के हृदय में जो भाव तरंगें आलोड़ित हुई हैं , वे शब्दातीत हैं।
आज उन्होंने हमें यह अहसास दिलाया है कि वे हमारी संतान से कम नहीं जो हमारे कठिन समय में साये की तरह साथ रहते हुए हमें सहारा देंगे। हमारे बच्चे इतने समझदार हो गए हैं , पहली बार अहसास हुआ। निःसंदेह उनके आचरण की यह शुचिता उन्हें सफलता के सर्वोच्च शिखर का संस्पर्श कराएगी , यह हमारा आशीर्वाद भी है , विश्वास भी ! ईश्वर साथी मिश्रा जी एवं उनके ज्येष्ठ पुत्र की आत्मा को शांति प्रदान करते हुए उनके छोटे बच्चे को शीघ्र स्वस्थ करें , हमारी उनसे यही प्रार्थना है …आप भी उनके लिए प्रार्थना करें…।
एक भावपूर्ण अपील – जो अभिभावक और व्यक्ति पीड़ित परिवार की सहायता करना चाहते हैं, वह पीड़ित परिवार के इस खाते में सहयोग राशि दे सकते हैं –
- बैंक – SBI , SIMULTALA ,
A/C.NO. – 20392799312 - IFSC Code- SBIN0003456
- संयुक्त खाता धारक – ARUNA MISHRA & JITENDRA KUMAR MISHRA
- BRANCH CODE- 3456