‘कोरोनाकाल में उच्च शिक्षा की चुनौतियाँ एवं समाधान’ विषयक राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का हुआ आयोजन

राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में 'कोरोनाकाल में उच्च शिक्षा की चुनौतियाँ एवं समाधान पर राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

हरिओम कुमार, मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा ‘कोरोनाकाल में उच्च शिक्षा की चुनौतियाँ एवं समाधान’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन शनिवार, 6 जून को किया गया।

राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने संगोष्ठी के आयोजनकर्ता मीडिया अध्ययन विभाग को धन्यवाद देते हुए वेब संगोष्ठी के सभी वक्ताओं और देशभर से जुड़े हजारों प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। प्रो. शर्मा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में खुशी जाहिर करते हुए कहा कि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के माध्यम अध्ययन विभाग का एक वर्ष भी पूर्ण नहीं हुआ, लेकिन इस अल्पावधि में अनेक कार्यक्रम, संगोष्ठी, कार्यशाला, सेमिनार करते हुए इस कोरोनाकाल में भी लगातार कार्यक्रम का आयोजन करना, विश्वविद्यालय के लिए हर्ष की बात है।

उन्होंने कहा कि ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा के सामने इंटरनेट कनेक्टिविटी भी एक चुनौती है। इस समस्या पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को भी आगे आने की जरूरत है।  कोरोनाकाल में विकास का नया भारतीय प्रतिमान उभरकर सामने आया है जो इसका सकारात्मक पक्ष है। यह समय हमें सुसज्जित करने और बदलने का अवसर दिया है। इससे हमारी प्राथमिकताएं बदलेगी और आवश्यकताएं भी बदलेगी। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और शिक्षा का मिश्रण शिक्षक का विकल्प नहीं है। शिक्षक को सिर्फ शिक्षा ही नहीं देना होता बल्कि चरित्र, आचरण, व्यवहार भी देना होता है।

वेब संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन कर रहे मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. अरुण कुमार भगत ने सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक प्रकार का विशाल शैक्षणिक अनुष्ठान है जिसमें हजारों प्रतिभागी जुड़े हैं एवं कई विद्वान वक्ताओं से मंच सजा है। आज के इस विचार मंथन से ज्ञान रूपी अमृत प्राप्त होगा ऐसी मुझे आशा है। प्रो. भगत ने कहा कि कोरोनाकाल में शिक्षा की गुणवत्ता बरकरार रहे इसके लिए आज का यह वेब संगोष्ठी महत्वपूर्ण है। शिक्षा केवल संज्ञानात्मक कौशल प्राप्त करने का माध्यम नहीं है। यह एक जीवन मूल्य और जीवन शैली है।

कार्यक्रम के बतौर विशिष्ट अतिथि  हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलपति प्रोफेसर कुलदीपचंद अग्निहोत्री ने इस संगोष्ठी को आयोजित करने वाले महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग का नाम “मीडिया अध्ययन” रखने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वास्तव में मीडिया को अध्ययन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस कोरोनाकाल में यह बात पता चला कि शरीर के अंदर की मजबूती को बनाए रखना और स्वस्थ रहना यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। कोरोना चीन से आया यह बहस का विषय है, लेकिन पश्चिम से आए विकास के मॉडल पर इस कोरोना के कारण प्रश्न चिन्ह लग गया है। आज शिक्षा का मतलब सूचना का भंडार हो गया है। लेकिन वास्तव में शिक्षा आपके व्यवहार, आचार, चरित्र और मानवीय संवेदना का चीज है।

वेब संगोष्ठी के दूसरे विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय, हमीरपुर के कुलपति प्रोफेसर एस. पी. बंसल ने कहा कि भारत में इस समय को अवसर में बदलने का वक्त है। इस कोरोनाकाल के बाद वैश्वीकरण की परिभाषा बदल जाएगी। उन्होंने इस संकटकाल में चीन की राजनीति पर भी सवाल उठाए और कहा कि चीन को विकासशील देशों के सूची में नहीं बल्कि विकसित देशों के सूची में होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे मानवता का समग्र विकास हो सके। शिक्षा का अर्थ है कि मैं से हम की ओर और फिर हम से परिवार, समाज और राष्ट्र के बारे में सोचना। संस्कृत के बगैर संस्कृति की तुलना नहीं किया जा सकता। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि आने वाले समय में ऑनलाइन एजुकेशन भी एक परंपरा होना चाहिए।

वेब संगोष्ठी के तीसरे विशिष्ट वक्ता  झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची के कुलपति प्रोफेसर नंद कुमार यादव इंदु ने कहा कि उच्च शिक्षा केवल ज्ञान देने की जगह नहीं बल्कि ज्ञान क्रिएशन की जगह हो। ज्ञान का योगदान विकास में हो। रोजगार पाने के साथ रोजगार बनाने की भी जरूरत है। इस कोरोनाकाल में एक रास्ता बनाया गया कि ऑनलाइन माध्यम से भी हर चीज संभव है। लेकिन शिक्षक के व्यक्तित्व और आचरण से जो शिक्षा मिलती है वह ऑनलाइन माध्यम में संभव नहीं है।

वेब संगोष्ठी की विशिष्ट वक्ता हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, उत्तराखंड की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मंजुला राणा ने कही कि इस विपदा के समय हम सभी को उच्च शिक्षा को आगे भी बढ़ाना है और कोरोना से भी लड़ना है। इस संकटकाल में सबसे बड़ी समस्या है कि दुर्गम स्थानों पर जो छात्र हैं उनतक पहुंच बनाना और उनतक शिक्षा का प्रसार करना। भारतीय परंपराओं की रक्षा करते हुए छात्रों तक तकनीक का प्रयोग करते हुए शिक्षा को पहुंचाना एक चुनौती है।

राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का संचालन कार्यक्रम संयोजक मीडिया अध्ययन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर प्रशांत कुमार थे। संगोष्ठी के सभी वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के सह-संयोजक मीडिया अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर परमात्मा कुमार मिश्र ने किया। संगोष्ठी के सह संयोजक मीडिया अध्ययन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ साकेत रमण थे।
संगोष्ठी में पूरे देश के विभिन्न प्रांतों से लगभग 1500 से अधिक पंजीकृत प्रतिभागी जुड़े हुए थे।