नवरात्र का दूसरे दिन माता के दूसरे स्वरूप की पूजा होती है। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों में मां ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन होती है। मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप का नाम है ब्रह्मचारिणी। मां के सभी 9 रूपों में इस रूप का महत्व विशेष है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, नवरात्र में सच्चे हृदय से की गई पूजा कभी व्यर्थ नहीं जाती है।
ब्रह्म का मतलब तपस्या
ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या करना और चारिणी का मतलब होता है आचरण करना। माता के इस ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना अनंत फल देने वाली होती है। जो साधक विधि विधान से देवी के इस स्वरुप की पूजा अर्चना करता है उसकी कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाती है। मां का स्मरण करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम में वृद्धि होती है।
पूजा की विधि
मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए सबसे पहले नहा-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनका चित्र या मूर्ति पूजा के स्थान पर स्थापित करें। उस पर फूल चढ़ाएं दीपक जलाएं और नैवेद्य अर्पण करें। इसके बाद मां दुर्गा की कहानी पढ़ें और मंत्र का जाप 108 बार करें।
दधानां करपद्याभ्यामक्षमालाकमण्डल।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्माचारिण्यनुत्तमा।
देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें।