RCEP पर विदेश मंत्री बोले- खराब समझौते से बेहतर है समझौता न करना

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) पर हस्ताक्षर नहीं करने का फैसला नए समझौते से होने वाले लाभ-हानि की सोच-समझकर की गई गणना के आधार पर लिया। एस जयशंकर ने कहा किे खराब समझौता करने से अच्छा समझौता नहीं करना था।

भारत वर्षों तक वार्ता करने के बाद भी मूल चिंताएं दूर नहीं होने पर हाल ही में चीन समर्थित क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी से बाहर आ गया था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने बैंकॉक में कहा था कि प्रस्तावित समझौता सभी भारतीयों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चौथे ‘रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान’ में बोलते हुए समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने के भारत के फैसले का जिक्र किया और कहा कि भारत ने बहुत अंत तक बातचीत की और फिर, प्रस्ताव के बारे में सोचने समझने के बाद फैसला लिया।

उन्होंने कहा, ‘और तय हुआ कि इस समय खराब समझौते से अच्छा है कि कोई समझौता न किया जाए। यह भी जानना महत्वपूर्ण है कि आरसीईपी पर फैसले का मतलब क्या है। इसका मतलब ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ से कदम वापस खींचना नहीं है, जोकि किसी भी मामले में दूर तक और समकालीन इतिहास में गहराई से निहित है।’

एस जयशंकर ने कहा, ‘हमारा सहयोग काफी दूर तक फैला हुआ है और यह एक फैसला हमारी बुनियादों को कमजोर नहीं करेगा। भारत का आरसीईपी के कुल 15 देशों में से 12 देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता है। न ही इसका हमारी भारत-प्रशांत पहुंच से वास्तव में कोई संबंध है जोकि आरसीईपी की सदस्यता से काफी आगे है।’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमने बैंकॉक में जो देखा वह नए समझौते में प्रवेश से होने वाले लाभ-हानि की सोच-समझकर की गई गणना थी।’