महाराष्ट्र का विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की मुलाकात के बाद स्थिति साफ हो पाएगा। हालांकि इस मुलाकात से बीजेपी की परेशानी जरूर बढ़ गई है। इससे पहले बीजेपी की तरफ से बयान आया था कि वह शिवसेना का बातचीत के लिए इंतजार करेगी। जबकि शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि उनके पास 170 विधायकों का समर्थन है।
महाराष्ट्र में शिवसेना और भाजपा के इस जंग में पवार की एनसीपी को किंग मेकर बना दिया है। सरकार गठन में ऊंट किस करवट बैठेगा यह अब एनसीपी तय करेगी। वैसे एनसीपी ने अपने पूर्व के बयानों से साफ किया था कि वह विपक्ष में बैठने को तैयार है क्योंकि जनता ने उन्हें विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश दिया है।
शिवसेना और एनसीपी के बीच नए सिरे से पक रही सियासी खिचड़ी से भाजपा खेमा पहली बार चिंतित हुआ है। दरअसल चर्चा है कि शिवसेना ने एनसीपी के समक्ष मिलकर सरकार बनाने और सरकार का नेतृत्व करने का भी प्रस्ताव दिया है। हालांकि भाजपा को भरोसा है कि पवार अंत समय में शिवसेना को गच्चा देंगे।
इस मुलाकात को लेकर भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि यह बात सच है कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस को मिलाकर सरकार बनाने के लिए मैजिक नंबर का आंकड़ा पार हो जाएगा। हालांकि वे इसे दवाब बनाने की राजनीति करार दे रहे हैं। भाजपा को लगता है कि संबंधों में कड़वाहट बढ़ने के बाजवूद शिवसेना राकांपा-कांग्रेस से हाथ मिलाने का फैसला नहीं करेगी।