शादीशुदा जिन्दगी में आ रही बाधा तो करें मां कात्यायनी की पूजा, दूर होगी समस्या

नवरात्र के नौवें दिन मा दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां का जन्म श्रृषि कात्ययन के घर में हुआ था। इससे माता के इस स्वरूप को मां कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां के सभी स्वरूप में मां का यह रूप अत्यंत ही शुभ फल देने वाली होती हैं। मां कात्यायनी शेर पर सवार होकर भक्तों के हर कष्ट को हर लेती हैं। माता के 6ठे स्वरूप की पूजा अत्यंत ही कल्याणकारी होती है।

जिन लोगों को विवाह में बाधाएं आ रही हैं उन्हें मां कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा यदि विवाह के बाद संबंधों में कोई समस्या है तो माता कात्यायनी की पूजा से इस कष्ट से मुक्ति मिलेगी। मां माता के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। माता के दो अन्य हाथों में वरमुद्रा और अभयमुद्रा से सुशोभित है।

ऐसे करें मां की पूजा

मां कात्यायनी की पूजा करते समय लाल वस्त्र धारण करें। माता को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें। हल्दी और शहद अर्पित करें। मां कात्‍यायनी की पूजा सूर्यास्‍त के समय की जाती है।

मंत्र –
चन्द्र हास्सोज्ज्वलकरा शार्दुलवर वाहना ।
कात्यायनी शुभं दध्यादेवी दानव घातिनि ।।
चन्द्र को उज्ज्वल करने वाली, सिंह की सवारी करने वाली, दानव का संहार करने वाली देवी को प्रणाम। बहुत ही सरलता से भक्तों की इच्छा को पुरी करने वाली हैं, किसी भी अभिष्ट कार्य शादि-विवाह, शिक्षा आदि में सफलता के लिए विशेष अराधना की जाती है।

मां कात्यायनी की पूजा से लाभ

व्यक्ति को मन को नियंत्रित करने की क्षमता प्राप्त होती है। व्यक्ति अपनी सारी चिंताओं और व्यसनों से मुक्त हो सकता है। कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए देवी की पूजी उत्तम मानी जाती है। वैवाहिक जीवन में सफलता के लिए मां कात्यायनी की पूजा फलदायी होती है। कुंडली में विवाह के योग क्षीण हो, तो भी विवाह हो जाता है।