विपक्ष ने नीतीश सरकार के सामने रखा 15 सूत्रीय एजेंडा

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज अपने सहयोगी महागठबंधन के नेताओं के साथ तीन घंटे तक वर्चुअल बैठक की।इस बैठक के बाद महागठबंधन ने संयुक्त रूप से नीतीश सरकार के सामने 15 सूत्रीय एजेंडा रखा है।
क्या है विपक्ष का 15 सूत्रीय एजेंडा
1.कोरोना की पहली लहर के प्रारंभ से लेकर नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार महत्वपूर्ण और आवश्यक नीतिगत निर्णय लेने में असमर्थ रही, जिसके कारण आज बिहार के करोड़ों लोगों का जीवन संकट में है।अत्यंत प्रिय नेताओं व नौकरशाहों द्वारा दिखाए गए नकली गुलाबी फाइलों को ही मुख्यमंत्री सच मान बैठे और वास्तविक ज़मीनी हक़ीक़तों को नकार दिए जिससे आज बिहार विषम परिस्थिति से जूझ रहा है।
2. कोरोना की पहली लहर ने जो चेतावनी दी थी उसके आलोक में डॉक्टर्स, नर्सेज, पारा-मेडिक स्टाफ और सफाई कर्मचारियों की लाखों रिक्तियों को भरने की बजाय मुख्यमंत्रीजी ‘आंकड़ा प्रबंधन’ में लगे रहे।
3. पीएम केयर्स फंड से प्रदत्त वेंटिलेटर्स के बारे में मिल रही जानकारी अत्यंत चिंता का विषय है। अधिकतर मशीन ख़राब हैं और जो काम करने लायक़ हैं। बिहार के विभिन्न ज़िलों से इन वेंटिलेटर्स को वापस मंगवा कर पटना के निजी अस्पतालों को सौंपा जा रहा है।एक संवेदनशील सरकार को फौरी तौर पर पर विभिन्न ज़िलों में वेंटिलेटर चलाने वाले टेक्नीशियन की नियुक्ति करनी चाहिए थी ताकि दूर-दराज़ के इलाकों के लोगों की जान बचायी जा सके।
4. देश के अन्य राज्यों की तुलना में बिहार टीकाकरण के मामले में सबसे निचले पायदान पर है, जबकि विशेषज्ञ ये मानते हैं कि ज़ल्द से ज़ल्द अधिकांश आबादी का टीकाकरण ही कोरोना संकट से हमें निकाल सकता है। जहां बाकी राज्य अपने नागरिकों के बचाव के लिए केंद्र से अधिक से अधिक वैक्सीन की मांग कर रहे हैं और मजबूती से अपना पक्ष रख रहे हैं वहां मुख्यमंत्री और उनकी सरकार की चुप्पी बिहारवासियों के साथ विश्वासघात की श्रेणी में आता है।
5.ग्रामीण इलाकों की जटिलता के मद्देनजर टीकाकरण के लिए पंजीकरण और आधार कार्ड की अनिवार्यता को खत्म करते हुए स्कूल, वार्ड और आंगनवाडी केन्द्रों के माध्यम से वैक्सीनेशन सुनिश्चित किया जाए।चलन्त टीका केंद्र की शुरुआत करनी चाहिए।
6.हमारा मानना है विधान मंडल सदस्यों से मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना मद से 2021-22 से ली गयी दो करोड़ की राशि का खर्च मुख्यमंत्री जी और उनके चहेते नौकरशाहों की मनमर्जी से ना किया जाए। चूंकि विधायक क्षेत्र विशेष का प्रतिनिधित्व करते हैं अतः इस राशि को उनके क्षेत्र में चिकित्सीय कमियों और जरूरतों की पूर्ति के लिए किया जाए।
7.घरों में इलाजरत मरीजों की स्थिति भयावह है।सरकार ऐसे मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलिंडर या ऑक्सीजन कांन्सट्रेटर्स मुहैया कराने की दिशा में कोई कदम उठाया है? हम मांग करते है सरकार फौरी तौर पर अद्यतन स्थिति से अवगत कराते हुए सार्थक कदम उठाये।
8. हमारे बार बार आग्रह और अपील के बावजूद कोरोना जांच के मामले में बिहार फिसड्डी है।हम सरकार को आगाह करते हैं कि आंकड़ों को छुपाने और ढकने की बजाय ईमानदारी से जांच का दायरा बढ़ाये।
9.सरकार की उदासीनता के कारण कालाबाज़ारी बढ़ी और कई गुना अधिक क़ीमतों पर परिजन उन दवाओं को खरीदने पर मजबूर हुए। सरकार को इन सब चीज़ों का विशेष ध्यान रखते हुए रियल टाइम अपडेट और सप्लाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
10. हम जानना चाहते हैं कि बीते 15 वर्षों में एमपी/एम एल ए/एमएलसी के फंड से कितने एम्बुलेंस खरीदे गए और किन किन क्षेत्रों/जिले में ये उपलब्ध है। हमारी मांग है कि इस सन्दर्भ में एक सप्ताह के अन्दर स्टेटस रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाए।
11. बिहार से छोटे राज्यों जहां आबादी और संक्रमण भी कम है उनको बिहार से अधिक आवंटन हो रहा है। मुख्यमंत्री को केंद्र सरकार से ऑक्सीजन, रेमडेसिवेर जैसी दवाइयां और अन्य जीवन रक्षक उपकरणों को आबादी और संक्रमण के अनुपात में आवंटन और सप्लाई की पुरजोर मांग करनी चाहिये।
12. हम लोगों ने 17 अप्रैल को राज्यपाल महोदय के साथ हुए सर्वदलीय बैठक में सुझाव दिया था कि कोरोना प्रबंधन के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन हो जिसमें सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हों। आज पुनः हम उस मांग को दोहराते हुए इसकी अविलंब गठन की मांग करते हैं जहां सुझावों और कोविड की अद्यतन स्थिति की जानकारी साझा हो सके।
13. सरकार सभी अधिकारियों विशेषकर ज़िलों के डीएम/एसपी को निर्देशित करे की विधायकों/सांसदों और अन्य जनप्रतिनिधियों का फ़ोन उठायें और उनके समस्याओं का संज्ञान लेते हुए त्वरित कारवाई करें।
14.प्रधानमंत्री के चीफ वैज्ञानिक सलाहकार समेत कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना का तीसरी लहर संभावित है। सरकार को इसके मद्देनजर विशेष तैयारी करनी चाहिए ताकि इस बार की तरह स्थिति विस्फोटक ना बने।
15. बिना कोविड जांच के अभाव में मरने वाले मरीज़ों के परिजनों को भी 4 लाख अनुग्रह राशि प्रदान किया जाए।