नई दिल्ली। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ऐसी नायिका रही, जिनके पराक्रम और साहस की चर्चा आज भी इस समय-समय पर होती रहती है।
रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि पर यूनाइटेड हिंदू फ्रंट कार्यालय में उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि भेंट करते हुए फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता श्री जय भगवान गोयल ने प्रसिद्ध कवियत्री सुभद्रा कुमारी चैहान की यादगार कविता ‘‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी’’, को स्मरण करते हुए कहा कि यह कविता आज भी युवाओं को देशभक्ति के जज्बे से भर देती है।
उन्होंने कहा कि भारतीय नारियों, हिंदू एवं राष्ट्रवादी शक्तियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी हुकूमत के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया और उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहा ‘‘वह अपनी झांसी नहीं देगी। ‘‘वह आखरी सांस तक लड़ती रही तथा आज के ही दिन 18 जून को मातृभूमि की रक्षा करते हुए हंसते-हंसते अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया।
श्री गोयल ने आगे बताया कि रानी झांसी बाई बचपन से ही मनु- शस्त्र- शास्त्र की शिक्षा लेने लगी थी।
नानासाहेब और तात्या टोपे से उन्होंने घुड़सवारी और तलवारबाजी के गुर सीखे थे। 29 साल की आयु में रानी लक्ष्मीबाई कई दिनों तक अपनी छोटी सी सेना के साथ अंग्रेजों से लोहा लेती रही और अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। मृत्यु से पूर्व रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी आखिरी इच्छा जाहिर की थी कि उनके शरीर को अंग्रेज छू तक नहीं पाए। झांसी की पठान सेना की मदद से उन्हें ‘शाला’ ले आया गया और तुरंत उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार अंग्रेज उनके पार्थिव शरीर को छू तक नहीं पाए। रानी लक्ष्मी बाई की वीरता देखकर खुद अंग्रेजों ने उनकी तारीफ की थी। उनका बलिदान सदियों तक याद रखा जाएगा। इस अवसर पर संगठन के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।