निर्भया केस में दोषियों को मिले और 20 दिन, डेथ वॉरंट पर सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप के गुनाहगार अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. अब इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई. माना जा रहा था कि कोर्ट आज चारों दोषियों का डेथ वॉरंट जारी कर सकता है. लेकिन कोर्ट में अब सुनवाई टल गई है. इसके साथ ही अगली सुनवाई अब 7 जनवरी 2020 को होगी. ऐसे में दोषियों को अब 20 दिन को मोहलत और मिल गई है.

कोर्ट के फैसले के बाद निर्भया की मां रोने लगीं. उन्होंने कहा कि दोषियों के पास सभी अधिकार हैं, हमारा क्या?.-वहीं मुकेश को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 3.15 बजे पेश किया जाएगा क्योंकि इस मामले में उसका कोई वकील नहीं है.जज ने तिहाड़ जेल प्रशासन से पूछा कि पुनर्विचार याचिका खारिज हो गई तो आपने दोषियो को नोटिस क्यों नही जारी किया? जज ने कहा कि आज ही जारी करना चाहिए था ताकि उन्हें 7 दिनों के भीतर जवाब देना होता.कोर्ट ने कहा कि मैं आप लोगों को पूरा वक्त दे रहा हूं. इसीलिए 7 जनवरी तक तैयारी पूरी कर लें. इसके साथ ही कोर्ट ने जेल अधिकारियों को सभी चार दोषियों को नोटिस जारी करने के लिए कहा है कि उनके पास दया याचिका दाखिल करने के लिए सात दिन का वक्त है.पटियाला हाउस कोर्ट में डेथ वॉरंट पर सुनवाई टल गई है. अब इस मामले में 7 जनवरी 2020 को अगली सुनवाई होगी.एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को कहा कि इस मामले में आपको (जज) कुछ समय लेना चाहिए क्योंकि इस केस में जल्दबाजी के बजाय सही फैसला लेना ज्यादा जरूरी है.वकील ने कहा कि हालांकि उनमें नियमों का पालन करना होता है, जो सुप्रीम कोर्ट ने फांसी के लिए बनाए हैं.सरकारी वकील राजीव मोहन ने कहा कि दया याचिका से पहले डेथ वारेंट जारी किया जा सकता है .जेल प्रशासन का कहना है कि दोषी मुकेश दया याचिका नहीं देना चाहता है. इसके अलावा दोषी विनय अपनी दया याचिका वापस ले चुका है.

क्या होता है डेथ वारंट?

कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर-1973, यानी दंड प्रक्रिया संहिता- 1973 (CrPC) के तहत 56 फॉर्म्स होते हैं. फॉर्म नंबर 42 को डेथ वारंट कहा जाता है. इसके ऊपर ‘वारंट ऑफ एक्जेक्यूशन ऑफ अ सेंटेंस ऑफ डेथ’ लिखा होता है. वहीं इसे ब्लैक वारंट भी कहा जाता है. इसके जारी होने के बाद ही किसी व्यक्ति को फांसी दी जाती है.

अगर निर्भया रेप और मर्डर मामले में दोषी पाए गए चारों अभियुक्तों को अदालतों या राष्ट्रपति से राहत नहीं मिलती है तो उन्हें फांसी पर लटकाने के लिए इसी फॉर्म नंबर 42 यानी ब्लैक वारंट का इस्तेमाल किया जाएगा.