नई दिल्ली। केंद्र सरकार के प्रस्तावित नागरिकता संशोधन बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब इस बिल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। लोकसभा से पास होने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद उन लोगों के लिए भारत की नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में शरण लिए हुए हैं।
केंद्र सरकार के प्रस्तावित संशोधन से भारत के बाहर से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई, पारसी को बिना किसी वैध दस्तावेज के ही भारत की नागरिकता मिल जाएगी। फिलहाल भारत में जो कानून लागू है उसके मुताबिक, भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में कम से कम 11 साल का निवास आवश्यक है। हालांकि लोग सरकार को विशेष पत्र लिखकर भी नागरिकता के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
इस बिल को 5 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल को लेकर पहले से ही इस बात का अंदेशा है कि इस बार सदन में हंगामा होने का ज्यादा आसार है। बता दें कि इससे पहले असम में एनआरसी विधेयक केंद्र सरकार ला चुकी है। हालांकि इसका असम में काफी विरोध हुआ। कई लोगों ने आरोप लगाया कि इसके स्क्रूटनी में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। लोगों ने स्थानीय कर्मचारियों पर भेदभाव का आरोप भी लगाया था।
अब केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल लाने जा रही है जिसमें भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल के निवास की बाध्यता को घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। केंद्र सरकार के इस कदम से भारत में रह रहे लाखों लोगों को राहत मिल सकती है।