नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां महागौरी को शिवा के नाम से भी जाना जाता है। महागौरी के एक हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशूल तो दूसरे हाथ में भगवान शिव का प्रतीक डमरू है। महागौरी उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्णी तथा श्वेत वस्त्रधारी और चतुर्भुजा हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है तो तीसरा हाथ वरमुद्रा में हैं और चौथा हाथ एक गृहस्थ महिला की शक्ति को दर्शाता हुआ है।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन विधि
अष्टमी के दिन कन्या पूजन श्रेष्ठ माना जाता है। कन्या पूजन में कन्याओं की संख्या नौ होनी चाहिए, या फिर दो कन्याओं का पूजन करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन करते समय कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। कन्या पूजन के बाद उन्हें भोजन करवाकर दक्षिणा भी देनी चाहिए।
इन चीजों का लगाएं भोग
मां शक्ति के इस स्वरूप की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता जाता है। आज के दिन काले चने का प्रसाद विशेषरूप से बनाया जाता है।
पूजा विधि
- पीले वस्त्र पहनकर मां की पूजा आरंभ करें।
- मां के समक्ष दीपक जलाएं और मन में उनका ध्यान करें।
- पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें।
पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें
श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
अगर पूजा मध्य रात्रि में की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होते हैं। महागौरी का रूप मां का करुणामयी रूप है। इस रुप में माता अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। सच्चे मन से मां की आराधना का फल अवश्य मिलता है।