शारदीय नवरात्र में हर व्यक्ति माता की भक्ति में डूब जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा को साहत और शक्ति की देवी माना जाता है। माता के इस स्वरूप की अराधना करने से मानव को भय से मुक्ति मिलती है और साहस की प्राप्ति होती है।
मां के सिर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा है जिसकी वजह से इनको चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है। मां की पूजा से व्यक्ति का मणिपुर च्रक का विकास होता है। ज्योतिष की भाषा में इसका संबंध मंगल ग्रह से होता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
- मां चंद्रघंटा की पूजा लाल वस्त्र धारण करके करना श्रेष्ठ होता है।
- मां को लाल पुष्प,रक्त चन्दन और लाल चुनरी समर्पित करना उत्तम होता है।
- इनकी पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है।
- अतः इस दिन की पूजा से मणिपुर चक्र मजबूत होता है और भय का नाश होता है।
इस मंत्र से करें पूजा
मां चंद्रघंटा की पूजा ऐश्वर्य प्राप्ति और भय मुक्ति के लिए की जाती है। आज के दिन इस मंत्र के उच्चारण मात्र से ही माता प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को मनोवांछित फल भी प्रदान करती हैं।
इस मंत्र का करें जाप
“ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।
शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥”
माता के हर स्वरूप की पूजा अलग-अलग प्रकार से की जाती है। मां के प्रति समर्पण का भाव रखने से माता जल्द प्रसन्न होती हैं। माता चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी मिठाईयों का भोग लगाना चाहिए और फिर स्वयं के साथ-साथ इसे लोगों के बीच वितरित करना चाहिए और खाना चाहिए। माता की भक्ति से जीवन के सभी दुखों को अंत हो जाता है।