नई दिल्ली , देश के दिव्यांगजनों को सशक्त करने के लिए केंद्रीय सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने देशभर में 14 डिसेबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन केंद्रों का उद्घाटन किया। इस अवसर पर थावरचंद गहलोत ने कहा की बच्चों के अनुकूल विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इन केंद्रों की स्थापना की गई है। दिव्यांगजन पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार की प्राथमिकता का आधार रहे हैं। केंद्र सरकार ने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन 14 क्रॉस डिसेबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन केन्द्रों के माध्यम से सभी प्रकार की दिव्यांगता की पहचान, चिकित्सीय एवं पुनर्वास सेवायें दी जायेगी।

बच्चे हमारे समाज एवं देश का भविष्य हैं। उन्हें पूर्णतया सक्षम बनाने के लिए उचित पोषण, सहयोग एवं प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है। दिव्यांग बच्चों अथवा ऐसे शिशु जिनमें दिव्यांगता विकसित होने का अंदेशा है, की पहचान करने और उन्हें शीघ्र अति शीघ्र सहायता देने की आवश्यकता है, ताकि बच्चों का अनुकूलतम विकास सूनिश्चित किया जा सके। साथ ही, दिव्यांगता की गंभीरता को भी कम किया जा सके। बच्चों में शुरुआती स्तर पर ही अगर दिव्यांगता की पहचान हो जाए तो उचित इलाज से उनको दिव्यांगता से बचाया जा सकता है। ऐसे बच्चों के परिवारजनों को भी इन विषेश जरुरतमंद बच्चों के साथ तालमेल करने हेतु सहायता और एक सहव्यवसायिक, सह-प्रशिक्षक तथा सह-अध्यापक बनने की आवश्यकता होती है। उन्होंने आगे कहा की हमारे राष्ट्रीय संस्थान तथा उनके अधीन सीआरसीएस दिव्यांगजनों को पुनर्वास सेवायें प्रदान करती आ रही है | परन्तु राष्ट्रीय संस्थाए विशिष्ट दिव्यान्ग्ताओं के लिए ही काम करती रही हैं। हमारी इस नई पहल के अंतर्गत इन अर्ली इंटरवेंशन केन्द्रों की स्थापना से राष्ट्रीय संस्थाओं में सभी प्रकार की दिव्यांगताओं की पहचान तथा चिकित्सीय एवं पुनर्वास सेवायें दी जा सकेंगी |

ये केन्द्र, नवीनतम तकनीक, मूलभूत सुविधाएं, उपकरण और प्रौद्योगिकी से सुसज्जित हैं और लाभार्थियों की आवश्यकतानुसार बहु विषयक विषेशज्ञों की सेवा प्रदान करने के लिए तैयार हैं।
इन केंद्रों के माध्यम से दिव्यांगजनों को बहुत मदद मिलने वाली है। 2022 में हम इस प्रकार के केंद्र सभी सीआरएस में स्थापित करने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं | जिसके फलस्वरूप लगभग 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में क्रॉस डिसेबिलिटी अर्ली इंटरवेंशन केन्द्रों की सुविधा मिल सकेगी। चूंकि 3 – 6 वर्ष प्रारंभिक शिक्षा के लिए सबसे उपयुक्त उम्र होती है। इसलिए इन 14 केंद्रों में प्रारंभिक स्कूल सुविधाओं को एक अभिन्न अंग के रूप में रखने की सोची-समझी कल्पना भी की गई है। ये विशेष प्रारंभिक स्कूल सुविधाएं विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में बच्चों को स्कूल के लिए तैयार होने में मदद करेंगी और समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहित कर नियमित विद्यालयों में अधिकतम बच्चों को नामांकित करने की हम आशा कर सकेंगे। इन केन्द्रों पर सुगम्य रैम्प, रेलिंग, उभरे हुए मार्ग, शोचालय, वाश बेसिन, संकेतक इत्यादि द्वारा यूनिवर्सल डिजाइन के सभी नियमों के अनुसार सभी वर्ग की दिव्यांगताओं हेतु सुगम्यता को सुनिश्चित किया गया है। सरकार अपने स्तर पर दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। अर्ली इंटरवेंशन केन्द्रों को चिकित्सीय संस्थानों तथा मातृत्व क्लिनिक व बाल चिकित्सा संस्थानों के साथ जोड़ा जा सकता है जिससे सेवाओं के विस्तार में सहायता मिलेगी। केन्द्रों का एक नेटवर्क होने से और तुरंत सूचना देने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से सहयोग से ही, समय की बचत होगी और बच्चे के अनुकूलतम विकास में बच्चे व परिवार को शीघ्र सेवाएँ पहुँच सकेंगी। कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए इन केन्द्रों में रोगाणुमुक्त हैंडवाश की सुविधाओं सहित आवश्यक कोविड से बचाव के उपायो का पालन किया जायेगा और सामाजिक दूरी तथा समयबद्ध मिलने के समय का पालन किया जायेगा। इसके अलावा थावरचंद गहलोत ने इस महत्वपूर्ण पहल को शुरू करने के लिए अधिकारियों का भी धन्यवाद किया। इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले, कृष्ण पाल गुर्जर, रतनलाल कटारिया भी उपस्थित रहे। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत व अन्य विशिष्ट अतिथियों के माध्यम से इस कार्यक्रम पर आधारित एक बुकलेट का भी लोकार्पण किया गया। केंद्रीय मंत्री ने इन केंद्रों के संचालन से जुड़े अधिकारियों से भी चर्चा की और उनके अनुभवों व अन्य सुझाव को जाना। देश के इन मुख्य शहरों दिल्ली, मुंबई, कोलकता, चेन्नई, सिकंदराबाद, भोपाल, पटना, देहरादून, राजनांदगांव, कालीकट, सुंदरनगर, लखनऊ, कटक में इन केंद्रों की शुरुआत की गई है।