नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) शनिवार को 17वें दिन में प्रवेश कर गया है. सरकार की ओर से जारी मान मनौव्वल के बीच आंदोलित किसानों ने प्रदर्शन तेज करने की चेतावनी दी है. किसानों की तरफ से शनिवार को टोल प्लाजा घेरने और दिल्ली-जयुपर हाईवे बंद करने का ऐलान किया गया है. किसानों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस की तरफ से सतर्कता बरती जा रही है. किसानों की चेतावनी के बीच दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एस एन श्रीवास्तव शुक्रवार रात को अचानक सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने टीकरी बॉर्डर पहुंचे. यहां बॉर्डर पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों से मुलाकात की. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों के नेताओं से प्रस्ताव पर विचार करने का आग्रह किया है और कहा कि वह किसानों के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं.
कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद करेंगे. इसे देखते हुए दिल्ली-जयपुर हाईवे पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. गुरूग्राम पुलिस के 2000 से ज़्यादा जवानों की तैनाती की गई है. कोंडली-मानेसर-पलवल चौराहे पर सबसे ज़्यादा पुलिस बल लगाया गया है. पुलिस ने 5 महत्वपूर्ण स्थानों की पहचान करके तैनाती की है.
किसानों के हाईवे और टोल बंद करने की धमकी के मद्देनजर हरियाणा पुलिस ने ट्रैफ़िक को डायवर्ट करने का प्लॉन भी तैयार किया है. खेड़की टोल प्लॉज़ा पर भी पुलिस की तैनाती की गई है.
किसान रेवाड़ी में दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद कर सकते हैं. फ़रीदाबाद पुलिस ने 3000 से ज़्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया है. बदरपुर टोल प्लाज़ा और गुरुग्राम-फ़रीदाबाद बार्ड पर सबसे ज़्यादा जवानों की तैनाती की गई है. पुलिस के साथ सीआरपीएफ, रैपिड एक्शन फोर्स और बीएसएफ को भी तैनात किया गया है.
दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव अचानक सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने टिकरी बॉर्डर पहुंच गए. कमिश्नर ने बॉर्डर पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों से मुलाकात की. इस दौरान एसएन श्रीवास्तव ने जॉइंट CP से टिकरी बॉर्डर और आसपास की सुरक्षा के लिए तैयार रोडमैप को भी समझा. दरअसल रात में कमिश्नर के पहुंचने का मकसद था, रात के वक्त सुरक्षा में तैनात जवानों से मिलना और उनकी हौसला अफजाई करना.
सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से शुक्रवार को कहा कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने देने के लिए सतर्क रहें. केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि ‘असामाजिक तत्व’ किसानों का वेश धारण कर उनके आंदोलन का माहौल बिगाड़ने का षड्यंत्र कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए उनके और उनके प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही है. तोमर ने ट्वीट किया, ‘‘किसानों की आपत्तियों का समाधान करने के लिए किसान संघों के पास एक प्रस्ताव भेजा गया है और सरकार इसपर आगे चर्चा के लिए तैयार है.”
खाद्य, रेलवे और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘‘देश की जनता देख रही है, उसे पता है कि क्या चल रहा है, समझ रही है कि कैसे पूरे देश में वामपंथियों/माओवादियों को कोई समर्थन नहीं मिलने के बाद वे किसान आंदोलन को हाईजैक करके इस मंच का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए करना चाहते हैं.”
हालांकि, किसान नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ उनके प्रदर्शन का राजनीति से कोई वास्ता नहीं है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि नये कृषि कानूनों को समाप्त किए जाने से कम पर कोई समझौता नहीं होगा और अगर सरकार बात करना चाहती है, तो पहले की तरह औपचारिक रूप से किसान नेताओं को सूचित करे.
केन्द्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर 11 दिनों से धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने शुक्रवार को कहा कि जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होती, तब तक वह अपना धरना जारी रखेंगे. उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं को सिर्फ देश के प्रधानमंत्री ही दूर कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री या अन्य कोई अन्य मंत्री इस समस्या का हल नहीं कर सकता है.
मंत्रियों के साथ हुई बैठक के बेनतीजा रहने पर किसान संगठनों ने कहा था कि वे अपने आंदोलन को तेज करेंगे तथा राष्ट्रीय राजधानी को जोड़ने वाले राजमार्गो को बाधित करेंगे क्योंकि सरकार की पेशकश में कुछ भी नयी बात नहीं है. किसान नेताओं ने धमकी दी कि यदि सरकार अपने तीन कानूनों को रद्द नहीं करती तो रेलवे पटरियों को भी अवरुद्ध किया जायेगा.
केन्द्र सरकार के कानून में कुछ संशोधन करने, एमएसपी और मंडी व्यवस्था जैसे मुद्दों पर लिखित आश्वासन अथवा स्पष्टीकरण देने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए किसान संगठन इन नए कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं. सरकार ने नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की संभावना से बृहस्पतिवार को एक तरह से इनकार करते हुए किसान समूहों से इन कानूनों को लेकर उनकी चिंताओं के समाधान के लिए सरकार के प्रस्तावों पर विचार करने की अपील की थी.